यह परंपरा लगभग 50000 वर्ष पुरानी है जो द्वापर युग सेचली आ रही है
जब राधा जी ने होली खेलने के लिए नंद गांव में कृष्ण भगवान को निमंत्रण भेजा था भगवान कृष्ण ने होली का निमंत्रण स्वीकार कर लिया
तब सखियों ने कृष्ण के चेहरे पर अबीर गुलाल लगा दिया, कृष्ण ने प्रतिक्रिया देते हुए पासमें रखे लड्डू सखियों के ऊपर फेंकना शुरू कर दिया
और उपहार स्वरूप लड्डू बरसाने भेजे, तभी से यहां लड्डू होली खेली जाती है
बरसाना के मंदिर में नंद गांव से हजारों मन लड्डू का प्रसाद लगाकर श्रद्धालुओं के ऊपर फेंके जाते हैं मंदिर में होली के भजन रसिया के गायन के साथनृत्य करते हुए आनंदित हो जाते हैं