वसंत पंचमी से होली के त्योहार  की शुरुआत होती है। इसी दिन होली का डांडा  गढ़ जाता है। महाशिवरात्रि के दिन राधारानी को  56 भोग का प्रसाद लगता है। अष्टमी के दिन बरसाने का  एक-एक व्यक्ति नंदगांव जाकर  होली का निमंत्रण देता है।

नवमी के दिन से होली की  हुड़दंग मचती है।  होलिका दहन के ठीक पांचवें दिन  रंग पंचमी मनाई जाती है। नंदगांव के पुरुष नाचते-गाते  छह किलोमीटर दूर  बरसाने पहुंचते हैं।

बरसाना में लट्ठमार होली राधारानी  और श्रीकृष्ण के प्रेम का प्रतीक है. रंगीली गली में द्वापरयुग में  श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों  के साथ होली खेलने की शुरुआत  की थी. तब से ये परंपरा  चली आ रही है.

हर साल होली से कुछ दिन पहले रंगीली गली (Rangili Gali)  में लट्ठमार होली का आयोजन  किया जाता है. नंदगांव के पुरुष राधारानी  के मंदिर पर झंडा फहराने  की कोशिश करते हैं,

बरसाने की महिलाएं लट्ठ से खदेड़ने का प्रयास करती हैं। पुरुष महिलाओं पर गुलाल  छिड़ककर उन्हें चकमा देकर  झंडा फहराने का प्रयास करते हैं। पकड़े जाते हैं तो जमकर  पिटाई होती है,

16वीं शताब्दी में  हुई थी शुरुआत ! राधा कृष्ण ने खेली थी  पहली होली

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