पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी मकर संक्रान्ति को मनाया जाता है।
भारत का यह प्रमुख त्योहार 14 जनवरी को पड़ता है,
इस दिन सूर्य सूर्य उत्तर दिशा की ओर धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।
देशभर में यह त्यौहार बहुत धूमधाम से मनता है. तिल से बने खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं
मकर संक्रांति पर पतंग भी उड़ाई जाती है
तन्दनान रामायण के मुताबिक संक्रांति पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने पतंग उड़ाई थी
और वह उड़कर इंद्रलोक में चली गई थी. तभी से इस अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा है.
इसका वर्णन रामचरितमानस के बालकांड में भी मिलता है.
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान की पौराणिक कथा
राजा सगर अपने पुण्य कर्मों से तीन लोकों में प्रसिद्ध हो गए थे इस बात से देवताओं के राजा इंद्र को चिंता होने लगी . चारों ओर उनका ही गुणगान हो रहा था. राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया. इंद्र देव ने राजा सगर का घोड़ा चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया.
चोरी होने की सूचना पर राजा ने अपने सभी 60 हजार पुत्रों को उसकी खोज में लगा दिया. वे सभी खोजते हुए मुनि के आश्रम तक पहुंच गए. वहां पर उन्होंने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चोरी करने का आरोप कपिल मुनि पर लगा दिया. इससे क्रोधित होकर मुनि ने राजा के सभी पुत्रों को श्राप से जलाकर भस्म कर दिया.यह जानकर राजा सगर कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और पुत्रों को क्षमा दान देने का निवेदन किया. कपिल मुनि ने कहा पुत्रों के मोक्ष के लिए एक ही मार्ग है, तुम मोक्षदायिनी गंगा को पृथ्वी पर लाओ. राजा के पोते अंशुमान ने मुनि के सुझाव पर प्रण लिया वे तपस्या करने लगे. राजा अंशुमान की मृत्यु के बाद राजा भागीरथ ने कठिन तप से मां गंगा को प्रसन्न किया तब राजा भगीरथ ने भगवान शिव को अपने तप से प्रसन्न किया ताकि वे अपनी जटाओं से होकर मां गंगा को पृथ्वी पर उतरने दें, जिससे गंगा का वेग कम हो सके
और आगे राजा भगीरथ और पीछे-पीछे मां गंगा पृथ्वी पर बहने लगी. उस दिन मकर संक्रांति थी राजा भगीरथ मां गंगा को लेकर कपिल मुनि के आश्रम तक लेकर आए, जहां पर मां गंगा ने राजा के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया. मां गंगा को अपनी जटाओं में रखकर भगवान शिव गंगाधर बने.
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